हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद के रीति-रिवाज और श्राद्ध हमारे लिए बहुत खास होते हैं। ये सिर्फ धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि अपने प्रियजनों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने का एक भावनात्मक तरीका भी हैं। मेरे परिवार में भी जब किसी की मृत्यु होती है, तो हम निर्णय सिन्धु जैसे शास्त्रों के आधार पर श्राद्ध और अन्य कर्म करते हैं। लेकिन कई बार सवाल आते हैं - मासिक श्राद्ध कैसे करें? क्या इसे एक बार में निपटा सकते हैं? और सबसे जरूरी, शुभ कार्य जैसे शादी कब शुरू कर सकते हैं? आइए, इसे आसान और रोजमर्रा की भाषा में समझते हैं, जैसे हम घर में बात करते हैं। मृत्यु के बाद क्या-क्या होता है? जब परिवार में किसी की मृत्यु होती है, तो सबसे पहले अंत्येष्टि (दाह संस्कार) किया जाता है। इसके बाद 10 से 13 दिनों तक कई कर्मकांड होते हैं, जैसे पिंडदान , सपिंडीकरण , और तर्पण । ये सब मृतक की आत्मा की शांति के लिए किए जाते हैं। मेरे गाँव में 13वें दिन एक बड़ा कर्म होता है, जिसमें ब्राह्मण भोजन करवाते हैं और घर को शुद्ध करते हैं। इसके बाद शुरू होता है मासिक श्राद्ध । यानी हर महीने उस तारीख को (ज...
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