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भीष्म पितामह सम्पूर्ण कहानी पूर्वजन्म से मृत्यु तक

महाभारत एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें कई नायक हैं। उनमें से एक नायक भीष्म पितामह भी हैं। सभी लोग जानते हैं कि भीष्म पितामह ने महाभारत की लड़ाई में कौरवों की ओर से युद्ध किया था, लेकिन बहुत से लोग उनके जीवन से जुड़ी बड़ी घटनाओं के बारे में नहीं जानते  🔹पूर्व जन्म में वसु थे —- भीष्म महाभारत के आदि पर्व के अनुसार एक बार पृथु आदि वसु अपनी पत्नियों के साथ मेरु पर्वत पर भ्रमण कर रहे थे। वहां वसिष्ठ ऋषि का आश्रम भी था। एक वसु पत्नी की दृष्टि ऋषि वसिष्ठ के आश्रम में बंधी नंदिनी नामक गाय पर पड़ गई। उसने उसे अपने पति द्यौ नामक वसु को दिखाया तथा कहा कि वह यह गाय अपनी सखियों के लिए चाहती है। पत्नी की बात मानकर द्यौ ने अपने भाइयों के साथ उस गाय का हरण कर लिया। जब महर्षि वसिष्ठ अपने आश्रम आए तो उन्होंने दिव्य दृष्टि से सारी बात जान ली। वसुओं के इस कार्य से क्रोधित होकर ऋषि ने उन्हें मनुष्य योनि में जन्म लेने का श्राप दे दिया। जब सभी वसु ऋषि वसिष्ठ से क्षमा मांगने आए। तब ऋषि ने कहा कि तुम सभी वसुओं को तो शीघ्र ही मनुष्य योनि से मुक्ति मिल जाएगी, लेकिन इस द्यौ नामक वसु को अपने कर्म भोगने के लिए बहुत दि...