जगत में अन्यथा ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो नहीं चाहता होगा कि उसका भाग्य उज्जवल हो और वह सफलताएँ प्राप्त करे अपने भाग्य को उज्ज्वल के लिए हर इंसान बहुत मेहनत करता हैं, किंतु कुछ ही की मेहनत रंग लाती हैं
नवग्रह वैदिक मंत्र (Navagraha Vedic Mantras) विद्यमान नौ ग्रहों (नवग्रहों) को प्रशंसा और अभिवादन के लिए उपयोग किए जाने वाले संस्कृत मंत्र हैं। ये मंत्र विशेष रूप से ज्योतिष और धार्मिक आयाम से महत्वपूर्ण माने जाते हैं। नवग्रहों में सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु शामिल होते हैं। नवग्रह वैदिक मंत्र, जिन्हें ग्रहों की शांति और उनसे संबंधित दोषों को दूर करने के लिए जाप किया जाता है, वैदिक संस्कृत में हैं। निम्नलिखित वे नवग्रह वैदिक मंत्र हैं: सूर्य का वैदिक मंत्र: ओम आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो विनेशयन्नमृतं मत्र्यं च। हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।। चंद्रमा का वैदिक मंत्र: ओम इमं देवा असपत्न सुवध्वं महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठयाय महते जानराज्यायेनद्रस्येन्द्रियाय।इमममुष्य पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश एष वोमी राजा सोमोस्मांक ब्राह्मणाना राजा।। भौम का वैदिक मंत्र: ओम अग्निर्मूर्धा दिव: ककुत्पति: पृथिव्या अयम्। अपा रेता सि जिन्वति।। ओम उद्बुण्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते स सृजेथामयं च। अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन् विश्वे देवा यजमानश्च स...
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